प्रेरणादायी दिव्यांग

फैशन बियॉन्ड बाउंड्रीज़: एक फैशन शो जो देता है दिव्‍यांग लोगों के समावेश को बढ़ावा

एनजीओ तमन्‍ना एक दशक से अधिक समय से दिव्‍यांगों के अधिकारों के लिए लड़ रही है. अपने वार्षिक फैशन शो के जरिए, यह इन लोगों के “समावेश और एकीकरण” के बारे में जागरूकता बढ़ाता है

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Fashion Beyond Boundaries: A Fashion Show To Promote Inclusion Of People With Disability
वोग फॉर इनक्लूसिविटी: एनजीओ तमन्‍ना दिव्‍यांगों के लिए फैशन को नॉर्मल बना रही है

नई दिल्ली: मंच के पीछे उत्साह और नर्वस एनर्जी से गुलजार है. फैशन शो के लिए उलटी गिनती शुरू होने के साथ ही आखिरी मिनट के टच अप तक, डिजाइनर और उनके मॉडल सभी एक्‍साइटेड हैं. आखिरकार, यह कोई साधारण फैशन शो नहीं है.

12 अगस्त को एनजीओ तमन्‍ना ने दिव्‍यांग लोगों के लिए फैशन डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया (एफडीसीआई) के सहयोग से अपना 13वां वार्षिक फैशन शो आयोजित किया. इन फैशन शो का उद्देश्य दिव्‍यांगों के “समावेश और एकीकरण” के बारे में जागरूकता फैलाना है.

समावेश के लिए इस साल की थीम “फैशन बियॉन्ड बाउंड्रीज़” थी, जो हर इंसान के मतभेदों और अद्वितीय क्षमताओं को अपनाने और समाज में उनके समावेश को समान रूप से दर्शाती है.

सुंदरता के अपने सतही मापदंडों के लिए जाने जाने वाले इंड्रस्‍टी के लिए, फैशन बियॉन्ड बाउंड्रीज़ ने कई रूढ़ियों को तोड़ा है.

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एनजीओ तमन्‍ना दिल्ली स्थित एक नॉन-प्रोफिट वॉलंटरी ऑर्गेनाइजेशन है जो मानसिक रूप से दिव्‍यांग, दिव्‍यांगों और ऑटिस्टिक के लिए खानपान अरेंज करता है. यह एक दशक से अधिक समय से दिव्‍यांग लोगों का समर्थ कर रहा है.

दिव्‍यांग लोगों के लिए, कठिनाइयां और बाधाएं दूसरों की तुलना में अधिक मुश्किल हो सकती हैं. वे दुनिया का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय बनाते हैं. और फिर भी, जब उनकी कहानियों को सुनाने की बात आती है, तो वे या तो हानिकारक टाइप-कास्ट में सिमट गए हैं या कम्युनिकेशन से बाहर हो गए हैं.

हर साल, एनजीओ “द तमन्‍ना फैशन शो” नामक एक प्रोग्राम आयोजित करता है, जिसमें दिव्‍यांग लोगों की शक्ति का प्रदर्शन किया जाता है.

यह एक फंड अरेंज करने वाला प्रोग्राम है, क्योंकि तमन्‍ना में 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे दिव्‍यांग और गरीब दोनों हैं. यह कार्यक्रम बच्चों, फिजियोथेरेपिस्ट, स्‍पेशल टीचर्स, स्पीच थेरेपिस्ट, ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट, लॉजिस्टिक्स आदि की सर्विस को स्‍पोर्ट करने के लिए आयोजित किया जाता है.

इस साल, रैंप पर एनजीओ के छात्रों द्वारा तैयार की गईं ड्रेसेज नेशल अवॉर्ड विनर और डिजाइनर, तमन्‍ना चोना द्वारा बनाई गई आर्ट वर्क सीरीज “हैप्पी कलर्स” से ली गई थीं.

चोना ने कहा,

मैं रैंप वॉक कर रही थी और ये खास बच्चे, आपको यकीन नहीं होगा, वे स्कूल जा रहे हैं, और दूसरे काम कर रहे हैं. हम उन्हें अपने दिल और आत्मा से प्यार करते हैं. कृपया उन्हें बांधें नहीं. इन विशेष बच्चों के लिए कोई सीमा नहीं है. इन बच्चों को प्यार चाहिए

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शो के बारे में बात करते हुए एनजीओ तमन्‍ना की संस्थापक और अध्यक्ष और तमन्‍ना की मां डॉ. श्यामा चोना ने कहा,

विविधता में सुंदरता का जश्न मनाने के लिए प्रतिबद्ध रहते हुए, हमारे विविध समाज के बेहतर प्रतिनिधित्व की दिशा में हमारे अथक प्रयासों ने एक तेजी से समावेशी समाज को मंजूर किया है. समावेश हमारे समुदाय के प्रत्येक सदस्य को अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने का मौका देने के बारे में है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हम में से प्रत्येक हमारी सामूहिक सफलता में भी पूरी तरह से योगदान करने में सक्षम है. इस फैशन शो का संस्थापक सिद्धांत काफी सरल है: सभी समान बनाए गए हैं. और समावेश एक ऐसी एकता बनाता है जो फैशन से परे है. मैं विविधता में सुंदरता का जश्न मनाने के लिए प्रतिबद्ध हर इकाई को धन्यवाद देती हूं..

इस शो में सारेगामा लिटिल चैंप्स शो के प्रतियोगियों में से एक दिवाकर शर्मा और एनजीओ के राहुल सी मेनन द्वारा परफॉर्मेंस दी गई.

इस कार्यक्रम में अंजू मोदी, राजेश प्रताप सिंह, पायल जैन, इरा बेरी और नम्रता जोशीपुरा सहित कई प्रमुख FDCI और भाग लेने वाले डिजाइनरों द्वारा तैयार किए गए पहनावे को भी दिखाया गया.

इवेंट के बारे में बात करते हुए डिजाइनर अंजू मोदी ने कहा,

यह मेरे दिल के बहुत करीब फैशन शो में से एक है और मैं पिछले 5-6 सालों से इससे जुड़ा हुआ हूं. मुझे लगता है कि समावेशिता के लिए काम करना बहुत महत्वपूर्ण है. यह सिर्फ काम नहीं है, आपको वास्तव में अपने आसपास के लोगों को शामिल करने की जरूरत है, उनकी भावनाओं और प्रतिभा का ध्यान रखना चाहिए. आप तमन्‍ना को प्रेरणा, उनके रचनात्मक कार्यों आदि के रूप में देख सकते हैं.

तमन्‍ना ने समावेशिता के लिए काम करने वाले कई परोपकारी और अच्छे लोगों को भी सम्मानित किया.

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इस वर्ष, FDCI की थीम “खादी और हथकरघा” थी. अपनी रचनाओं के माध्यम से, डिजाइनरों ने खादी को विचार की स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में प्रदर्शित करने का प्रयास किया, जिससे लोगों के जीवन में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया.

FDCI के चेयरमैन सुनील सेठी ने कहा,

फैशन डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया कई सालों से तमन्ना एनजीओ के साथ सहयोग कर रहा है, डिजाइन के माध्यम से एकता की भावना को एकीकृत करने की उम्मीद कर रहा है. इस बार की थीम खादी और हथकरघा है. यह विचार की स्वतंत्रता का प्रतीक है, जो एक मूक लेकिन बोधगम्य परिवर्तन लाता है, “फैशन बियॉन्ड बाउंड्रीज़” का जश्न मनाता है. इस आयोजन का लगातार समर्थक बनकर FDCI का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि फैशन के माध्यम से सामाजिक बाधाओं को तोड़ा जाए.

डिजाइनर अंजू मोदी ने ‘कॉन्शस फैशन’ को समय की जरूरत बताया. उन्‍होंने कहा,

यह 75 साल पहले तब अस्तित्व में आया था, जब गांधी जी ने खादी मूमेंट का नेतृत्व किया था और इसे आज भी जारी रखा जाना चाहिए.

लोग अभी भी सक्षम और दिव्‍यांगों के बीच सीमाए बनाते हैं, और एनजीओ तमना इस अंतर को पाटने पर काम करता है. संगठन इन-हाउस डायग्नोस्टिक सुविधाओं से लैस है और संगठन के हर छात्र के लिए एक व्यक्तिगत शैक्षिक कार्यक्रम प्रदान करता है.

भारत के टॉप ऑटिज्‍म सेंटर समेत तमन्ना ने कई अवॉर्ड जीते हैं. 2017 और 2018 में, एनजीओ को शिक्षा और वार्षिक स्कूल रैंकिंग में नंबर 1 स्‍पेशल स्कूल के रूप में सम्मानित किया गया था.

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