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किशोरावस्था में स्वास्थ्य तथा लैंगिक जागरूकता

किशोर यौन स्वास्थ्य: इन पांच विषयों पर आपको अपने पूर्व-किशोर या किशोर के साथ चर्चा करनी चाहिए

विशेषज्ञों के अनुसार, किशोरों के साथ यौन स्वास्थ्य के बारे में बात करने से उन्हें सुरक्षित विकल्प चुनने के लिए सही जानकारी मिलेगी. यहां पांच विषय दिए गए हैं जिन पर माता-पिता को अपने बच्चों के साथ चर्चा करनी चाहिए

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किशोर यौन स्वास्थ्य: इन पांच विषयों पर आपको अपने पूर्व-किशोर या किशोर के साथ चर्चा करनी चाहिए
Highlights
  • बच्चे के साथ यौन स्वास्थ्य पर बातचीत शुरू करें: विशेषज्ञ
  • अपने बच्‍चे के साथ सेक्‍स पर पॉजिटिव बातचीत करें: विशेषज्ञ
  • अपने बच्चों को कम उम्र से ही मंजूरी के बारे में सिखाएं: विशेषज्ञ

नई दिल्ली: भारत में लंबे समय से यौन स्वास्थ्य पर बातचीत को वर्जित माना गया है, लेकिन एक्स्पर्ट्स के अनुसार, इस बातचीत को बच्चे की परवरिश और स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की जरूरत है और इसे वयस्कता तक जारी रखना चाहिए. एक्स्पर्ट्स कहते हैं कि यौन शिक्षा और यौन स्वास्थ्य के बारे में बातचीत बहुत जरूरी है, क्योंकि अधिकांश किशोर सेक्स पर उचित जानकारी के बिना बड़े होते हैं, जिससे वे फैक्‍ट्स को मानने या अविश्वसनीय स्रोतों से सलाह लेने की और प्रेरित होते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को आराम से बात करने और सवाल पूछने के लिए समय और जगह देने से बेहतर जानकारी और सेक्स के प्रति अधिक सामान्य दृष्टिकोण रखने में मदद मिल सकती है.

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डॉ. तनया नरेंद्र, डॉक्‍टर और भ्रूण विज्ञानी, जिन्हें इंस्टाग्राम पर डॉ. क्यूटरस के नाम से जाना जाता है, ने कहा,

बच्चे से यौन स्वास्थ्य के बारे में बात करने के लिए कोई ‘सही उम्र’ नहीं होती. यह तब भी शुरू हो सकती है जब आपका बच्चा दो साल का हो या तब भी जब वह किशोर या वयस्क हो. इसपर कभी भी बहुत जल्दी या बहुत देर नहीं होती है. यदि आपके बच्चे हैं, तो उन्हें उनके बॉडी पार्ट से अवगत कराना शुरू करें. और जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, उनके साथ उम्र से जुड़े सही विषयों पर उनकी परिपक्वता के आधार पर चर्चा करें. इससे आप उनके प्रश्नों और रुचियों के आधार पर सही मात्रा में जानकारी दे सकते हैं. इससे पैरेंट्स और बच्चों के लिए एक-दूसरे से बात करना आसान हो जाएगा और संकोच धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा. बच्चों के साथ बात करने से न केवल सेक्स के आसपास की वर्जना को तोड़ने में मदद मिलती है, बल्कि युवाओं को कम उम्र से ही तथ्य जानने में मदद मिलती है और उन्हें जानकारी के लिए अपने साथियों या सोशल मीडिया या पोर्नोग्राफ़ी के पास जाने की ज़रूरत नहीं है. बच्चे से सेक्स के बारे में बात करने से बच्चे की भविष्य की यौन प्रतिक्रिया का सकारात्मक और वैज्ञानिक आधार बनता है.

वीणा अग्रवाल, स्त्री रोग विशेषज्ञ, सलाहकार महिला स्वास्थ्य, Medtalks.in ने जोर देकर कहा कि प्रजनन के बारे में बुनियादी तथ्य बच्चों को आसानी से सिखाया जा सकते हैं, लेकिन माता-पिता और टीचर्स को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि जानकारी को उचित संदर्भ में रखा जाए और उन्हें सही जानकारी देने में मदद की जाए. उन्‍होंने कहा,

प्रजनन प्रक्रिया के अलावा, यौन शिक्षा में मासिक धर्म से लेकर लिंग पहचान, LGBTQIA+ (लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर, इंटरसेक्स, अलैंगिक, और सभी यौन और लैंगिक अल्पसंख्यक) जैसे विषयों की सीरीज शामिल है.

इन पांच यौन शिक्षा विषय पर बच्चों के साथ चर्चा की जानी चाहिए-

शारीरिक अंग

डॉ. तनया के अनुसार, बहुत से बच्चे अपने शरीर के बारे में नहीं जानते हैं। उसने कहा,

जब हम अपने बच्चों को उनके शरीर के बारे में सिखाते हैं, तो हम उन्हें उनके कान, नाक, हाथों के बारे में आसानी से बता देते हैं, लेकिन जब उनके निजी अंगों की बात आती है, तो हम उन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं या उन्हें उनका “प्राइवेट पार्ट” कहते हैं. यह बेह जरूरी है कि बच्चे अपने जननांगों के सही नामों को जानें. यह उन्हें अपने शरीर को समझने और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और चोटों के बारे में बताने में मदद करता है. इसके अलावा, अगर इन अंगों को बताने में बच्‍चों को जल्दी सामान्य कर दिया जाता है, तो यह बाद में सेक्स के बारे में चर्चा को आसान बनाता है.

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि किशोरों से बात करते समय, उनके शरीर, आकार या शरीर के अंगों के बारे में उनकी असुरक्षा को दूर करना भी महत्वपूर्ण है.

हम मानव शरीर, विशेष रूप से महिलाओं के बारे में हाइपरसेक्सुअलाइज़्ड संदेशों से घिरे हुए हैं. इससे युवाओं में असुरक्षा बढ़ रही है. उन्हें आश्वस्त करना जरूरी है कि सभी शेप, साइज और कलर नॉर्मल हैं और शर्मिंदा होने की कोई जरूरत नहीं है. उन्हें अपने शरीर को स्‍वीकार करना चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए.

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डॉ. तनया ने कहा कि पक्षियों और मधुमक्खियों या ‘जीवन के तथ्यों’ के बारे में बात करना कई माता-पिता के लिए डरावना हो सकता है. उन्होंने कहा कि उन्हें यह याद रखना चाहिए कि बात कितनी भी सही क्यों न हो, मायने ये रखता है कि आपने बात की थी. उन्‍होंने आगे कहा,

किशोरावस्था एक संवेदनशील चरण है, जहां प्रजनन और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में शिक्षित होने से अधिक जागरूक और सावधान रहने में मदद मिल सकती है. याद रखें कि बच्चे को प्रजनन के बारे में तथ्य देने से उनकी मासूमियत नहीं छीन जाती है जैसा कि आमतौर पर माना जाता है. सुरक्षा और सावधानियों के बारे में इसी स्तर पर बात की जा सकती है.

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अनुमति और संचार

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि बच्चों को सही और गलत के बारे में जागरूक करके उन्हें आत्मविश्वास और सुरक्षित महसूस कराना जरूरी है. उन्‍होंने कहा,

अपने बच्चों को बताएं कि रिश्ते में सहमति और बातचीत बहुत ज़रूरी हैं. हम अपनी सीमा तय करने में सक्षम होते हैं और होना भी चाहिए और कभी भी जबरदस्ती के अधीन नहीं होना चाहिए. किशोरों को जागरूक किया जाना चाहिए कि सीमाओं का सम्मान किया जाना चाहिए.

डॉ. तनया ने कहा कि सहमति जल्दी पेश की जा सकती है. उन्‍होंने कहा,

अगर आपका बच्‍चा आपसे या परिवार के अन्‍य सदस्य से किस लेना या गले लगना नहीं चाहते, तो उन्‍हें फोर्स न करें. उन्हें ये न कहें, कि चाची या दादा से उन्‍हें चुंबन या हग के बदले टॉय मिलेगा.

लिंग की पहचान

डॉ. तनया ने कहा, लिंग की पहचान एक और विषय है, जिसे शुरू से ही बच्चों को समझाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि पैरेंर्ट्स और टीचर्स को बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि लिंग द्विआधारी नहीं है. उन्होंने कहा कि उन्हें समावेश, शरीर की सकारात्मकता और विविधता को अपनाने के बारे में सिखाया जाना चाहिए. डॉ. तनाया ने कहा,

बड़े पैमाने पर लिंग पहचान और कामुकता के बारे में बातचीत भारी पड़ सकती है, लेकिन बच्चों को यह बताना महत्वपूर्ण है कि जन्म के समय उन्हें दिए गए लिंग से अलग महसूस करना ठीक है और किसी भी लिंग के लिए कुछ महसूस करना सामान्य है.

माहवारी

डॉ. तनया के अनुसार, मासिक धर्म को अब भी धब्बा माना जाता है. उन्‍होंने कहा कि कई किशोरियां इस बात से अनजान रहते हैं कि उन्हें पीरियड्स कब आते हैं या पहली बार उन्हें अपने दोस्त की ड्रेस पर खून के धब्बे कब दिखाई देते हैं. उन्‍होने कहा,

अपने बच्चे को मासिक धर्म के बारे में बताएं. कई किशोरियां इसके बारे में अपनी शंका व्यक्त करने से हिचकिचाते हैं. यह महत्वपूर्ण है कि वे बेझिझक प्रश्न पूछ सकें. उन्हें मासिक धर्म चक्र के बारे में सिखाने के अलावा, उन्हें बताएं कि युवा लड़कियों को असामान्य रूप से इस दर्दनाक अवधियों का अनुभव होने या अनियमित पीरियड्स के मामले में डॉक्टर से सम्‍पर्क करना चाहिए.

अधिक खुलेपन और परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करें: विशेषज्ञ

दोनों विशेषज्ञों के अनुसार, माता-पिता और स्कूल के लिए खुलेपन का माहौल बनाना महत्वपूर्ण है, जहां किशोर अपने विश्वसनीय बड़ों से किसी भी फैसले के डर के बिना सवाल पूछ सकते हैं. माता-पिता के लिए अपने बच्चों के साथ आराम से यौन स्वास्थ्य संबंधी बातचीत करने के लिए टिप्स साझा करते हुए, डॉ. तनया ने उन अवसरों पर ध्यान देने का सुझाव दिया, जो संवाद को शुरू करने में मदद कर सकते हैं, जिनमें टीवी या समाचार शामिल हो सकते है. उन्‍होंने कहा,

बच्चों की बातों को सुनें और उन्‍हे विश्वास और सम्मान दिखाएं. अपने बच्चे के साथ सेक्स के बारे में सकारात्मक बातचीत करें. यदि आप केवल सेक्स के नकारात्मक परिणामों पर ध्यान देंगे, तो यह मददगार नहीं होगा. इसलिए, अपने बच्चों से तथ्य देकर बातचीतक करें. उन्हें बताएं कि संक्रमण कैसे यौन संचारित हो सकते हैं, उन संक्रमणों को कैसे रोका जा सकता है, कैसे गर्भवती होते हैं और अनियोजित गर्भधारण को कैसे रोका जा सकता है.

स्कूलों में दी जाने वाली यौन शिक्षा के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि आमतौर पर चौथी कक्षा में, किताबों में अच्छे और बुरे स्पर्श के बारे में बताया जाता है, लेकिन शरीर, जननांग, यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जानकारी केवल आठवीं कक्षा से शुरू होती है और वह भी पुरुष और महिला के अलावा अन्य पहचान जैसे लिंग को छोड़कर चिकित्सकीय तरीके से.

उन्‍होंने कहा, तब तक अधिकांश छात्र यौवन तक पहुंच चुके होते हैं. विश्वसनीय जानकारी और सपोर्ट के अभाव में, शुरुआती सालों में, लड़कियां और लड़के दोनों भ्रमित रहते हैं और जोखिम और दुर्व्यवहार करने लगते हैं. किशोरों को उनके यौन स्वास्थ्य के साथ-साथ उनके मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करने और उन्हें सेफ ऑप्‍शन बनाने में मदद करने के लिए सही जानकारी देना महत्वपूर्ण है.

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