NDTV-Dettol Banega Swasth Swachh India NDTV-Dettol Banega Swasth Swachh India
  • Home/
  • हाईजीन और साफ-सफाई/
  • ‘हेल्थ कैन नॉट वेट’ अभियान के तहत, COVID-19 के बीच स्वच्छता को बढ़ावा दे रहा है एनजीओ स्माइल फाउंडेशन

हाईजीन और साफ-सफाई

‘हेल्थ कैन नॉट वेट’ अभियान के तहत, COVID-19 के बीच स्वच्छता को बढ़ावा दे रहा है एनजीओ स्माइल फाउंडेशन

Global Handwashing Day: स्माइल फाउंडेशन एनजीओ ने जागरूकता के साथ-साथ बेसिक हाइजीन केयर तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए 2 लाख से अधिक हाइजीन किट बांटे हैं.

Read In English
'हेल्थ कैन नॉट वेट' अभियान के तहत, COVID-19 के बीच स्वच्छता को बढ़ावा दे रहा है एनजीओ स्माइल फाउंडेशन
Highlights
  • ग्‍लोबल हैंड वाशिंग डे हाथ धोने के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है
  • स्माइल फाउंडेशन छात्रों, उनके परिवारों के बीच स्वच्छता को बढ़ावा दे रहा है
  • टीम इंटरैक्टिव वीडियो, टेली काउंसलिंग और स्किट के माध्यम से शिक्षित करती है

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के सुंदरबन की चौथी कक्षा की छात्रा समृद्धि प्रमाणिक बताती हैं, “कीटाणुओं को मारने और कोरोनावायरस से लड़ने के लिए, हमें अपने हाथों को साबुन से 20-30 सेकंड तक धोना चाहिए. हाथ धोते समय, हमें हाथों की सभी सतहों को जैसे-हाथों के पिछले हिस्से सहित, अंगुलियों के बीच और नाखूनों के नीचे अच्छी तरह से साफ़ करना चाहिए.” कोरोनावायरस महामारी से पहले, समृद्धि हाथ की सफाई का खास ध्‍यान नहीं रखती थीं और खाने से पहले, टॉयलेट का यूज करने के बाद हाथ धोती थीं. हालांकि, अब, समृद्धि ज्‍यादा बार हाथ धोती हैं और अपने परिवार को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं. ग्लोबल हैंडवाशिंग डे 2021 पर, समृद्धि के पिता प्रदीप्त प्रमाणिक ने NDTV से बात की और बताया कि कैसे परिवार साफ-सफाई का ध्‍यान रखता है, जो COVID एहतियाती उपायों में से एक है. वह कहते हैं,

मेरे घर में बुजुर्ग माता-पिता हैं और हमारे लिए यह जरूरी है कि हम अपना और अपने माता-पिता दोनों का ध्‍यान रखें, जिन्हें COVID-19 से बीमारी होने का अधिक खतरा है. मेरा छोटा बेटा समृद्धि को देखता है और उससे सीखता है. हर कोई घर में पहले से ज्यादा बार हाथ धोता है और बाहर जाते समय मास्क पहनते हैं और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने की कोशिश करता है.

इसे भी पढ़ें : #SwasthBharat: जानें कितनी तरह के होते हैं कीटाणु, इनसे कैसे बचा जा सकता है

इसी तरह, एनजीओ स्माइल फाउंडेशन द्वारा समर्थित एक स्कूल में हाउसकीपिंग स्टाफ के रूप में काम करने वाली बेंगलुरु की मंजुला हर घंटे हाथ धोती हैं. उनका मानना है कि स्वच्छता का अभ्यास करने से वह न केवल अपने बच्चों की बल्कि अपने आसपास के लोगों की भी ध्‍यान रखेंगी. यही मंजुला का समाज में योगदान करने का तरीका है. मंजुला ने COVID एहतियाती उपायों के बारे में बात करते हुए कहा,

स्कूल में एक सामुदायिक बैठक में, छात्रों और हम माता-पिता को साफ-सफाई की जरूरत के बारे में सिखाया गया था. हमने टीवी पर विज्ञापनों में COVID-19 से लड़ने के लिए लोगों से हाथ धोने, मास्क पहनने और सामाजिक दूरी बनाए रखने के बारे में सुना था.

भारत में COVID-19 महामारी की शुरुआत के बाद से, एनजीओ स्माइल फाउंडेशन अपने मिशन शिक्षा केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों और उनके माता-पिता को एहतियाती स्वच्छता उपायों के बारे में जागरूक कर रहा है. ‘हेल्थ कैन नॉट वेट’ के दायरे में, स्माइल फाउंडेशन की स्वास्थ्य टीम ने अपने टेली काउंसलिंग कार्यक्रम ‘बातों बातों में सेहत’ और व्हाट्सएप के माध्यम से शिक्षा और सूचना का काम संभाला. वहीं, कुछ टीचर्स घर-घर जाकर जरूरतमंदों की मदद कर रहे थे.

COVID-19 महामारी के दौरान हाइजीन और सैनिटाइजेशन की पहल शुरू करने के पीछे के विचार और मकसद के बारे में NDTV से बात करते हुए, स्माइल फाउंडेशन के सह-संस्थापक और कार्यकारी ट्रस्टी शांतनु मिश्रा ने कहा,

वायरस के तेजी से फैलने के खतरे के बीच, समुदाय को विशेष रूप से कमजोर समूह के तहत आने वाले बच्चों को संरक्षित और सुरक्षित रहने के लिए हेल्‍दी हाइजीन की आदतों पर उन्मुख करना और संवाद करना महत्वपूर्ण था. लॉकडाउन के बाद स्कूलों के बंद होने के चलते बच्चों और परिवारों तक पहुंच मुश्किल हो गई थी, इसलिए टेली काउंसलिंग, व्हाट्सएप के माध्यम से संदेश और नियमित रूप से समुदाय से जुड़ने वाले केंद्र के कर्मचारियों के माध्यम से सूचना और शिक्षा संचार पहल शुरू करना जरूरी था.

इसे भी पढ़ें : आपके समग्र स्वास्थ्य की कुंजी, 5 बीमारियां जिन पर हाथ धोने से लगेगी लगाम

टीचर्स को COVID-19 के लिए एहतियाती उपायों के रूप में सफाई पर ऑनलाइन ट्रेनिंग दी गई. छात्रों और समुदाय को प्रशिक्षित किया गया. स्वास्थ्य और स्वच्छता संबंधी आदतों का पालन करने के बारे में बताने के उद्देश्य से माता-पिता के साथ स्वास्थ्य और कल्याण सत्र आयोजित किए गए- जैसे, महामारी के दौरान पालन किए जाने वाले सामाजिक दूरी के प्रोटोकॉल, संकट को नेविगेट करने के लिए अपने परिवारों की भावनात्मक और सामान्य भलाई सुनिश्चित करना.

यह बताते हुए कि टीम कैसे संदेश देती है, स्माइल फाउंडेशन के साथ पूर्वी क्षेत्र के क्षेत्रीय अधिकारी के रूप में काम करते हुए तापस ने कहा,

बीमारी की बारीकियों को जाने बिना, हमने समूहों को हाथ धोने जैसी बुनियादी सावधानियों के बारे में शिक्षित किया. लोग कहते हैं कि वे हाथ धोते हैं, लेकिन बहुत से लोग साबुन यूज नहीं करते, वहीं, कुछ लोग साबुन सही तरीके से इस्‍तेमाल नहीं करते, ऐसे में हमने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बताए गए, 11 चरणों का प्रदर्शन किया किया और बताया कि साबुन कीटाणुओं को कैसे मारता है. दूसरा, हम फेस मास्क के उपयोग पर जोर देते हैं.

मुंबई के कलिना में मिशन एजुकेशन सेंटर SHED के टीचर्स में से एक, प्रियंका ने कहा कि उन्होंने देशव्यापी लॉकडाउन से पहले ही फेस मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया था और दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने वालों की एंट्री बैन कर दी थी. टीम ने छात्रों को COVID-19 के लक्षणों के बारे में भी बताया ताकि वे अपने बड़ों या शिक्षकों के साथ बातचीत कर सकें यदि उन्हें लगता है कि उन्होंने बीमारी हो गई है. जमीनी चुनौतियों पर बात करते हुए प्रियंका ने कहा,

छोटे बच्चे हाथ धोने की जरूरत को नहीं समझते हैं. हमने वीडियो ट्यूटोरियल दिखाए- बीमारी हमें कैसे प्रभावित कर सकती है और साथ ही साथ हाथ धोने से हमारी सुरक्षा कैसे हो सकती है. दूसरा, अकसर मलिन बस्तियों में रहने वाले लोग ज्ञान की कमी के चलते फेस मास्क नहीं पहनते. हम मास्क वितरित करने के लिए घर-घर गए और बताया कि मास्क कैसे पहनना है और यह कैसे वायरस से हमें बचाता है.”

इसे भी पढ़ें : #SwasthBharat: हाथ की स्वच्छता – क्यों, कैसे और कब

मिश्रा ने कहा कि संदेशों को स्किट, पोस्टर और नारों के माध्यम से भी प्रसारित किया गया.

छत्तीसगढ़ के मिशन शिक्षा केंद्रों में से एक में पढ़ रही सुरभि वर्मा की मां दीनू वर्मा ने बताया कि देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान, स्माइल फाउंडेशन की टीम फोन पर सलाह देती थी और यहां तक कि शिक्षा के उद्देश्य से पर्चे भी बांटती थी. इसके अलावा दिल्ली में इना राजा मेमोरियल एजुकेशन ट्रस्ट के छात्र मोहम्मद एजाज की मां अंजुम खातून ने कहा,

हमें साबुन, सैनिटाइज़र और मास्क से युक्त स्वच्छता किट दी गई.

मिश्रा के अनुसार, ‘बातों-बातों में सेहत’ पहल 20 अप्रैल से पूरे भारत में 1 लाख से अधिक लोगों तक पहुंच बना चुकी है. इसके अलावा, फाउंडेशन ने जागरूकता के साथ-साथ कमजोर परिवारों को 2 लाख से अधिक स्वच्छता किट वितरित किए हैं. फाउंडेशन ने लोगों की बुनियादी स्वच्छता देखभाल तक भी पहुंच सुनिश्चित की है. जाते-जाते मिश्रा ने कहा,

इन सब के जरिए, समुदाय के सदस्यों में जागरूकता बढ़ी है जो अब अपनी स्वच्छता के प्रति अधिक सतर्क हैं, समय पर चिकित्सा सहायता लेते हैं, सुनिश्चित करते हैं कि उनके बच्चे बार-बार बाहर न निकलें और साफ-सफाई का ध्‍यान रखें.

इसे भी पढ़ें : सेल्फ केयर: रोज़ाना इन 5 टिप्स को जरूर करें फॉलो

This website follows the DNPA Code of Ethics

© Copyright NDTV Convergence Limited 2024. All rights reserved.